Rakshabandhan

 

उधर सूनी तेरी कलाई भैया...
इधर सूना मेरा मन..
फिर से वही दूरी है...
फिर सूना सा रक्षाबंधन...
 
तोहफा बस इतना देना..
जल्द से जल्द मुझसे मिलना...
पड़ा सूना मन आँगन.
फिर सूना सा रक्षाबंधन...
 
इस बार भी तेरी कमी है....
नयन में नीर की नमी भी है...
दूर करो बस ये बिछडन..
फिर सूना सा रक्षाबंधन... !!!